अहा , ग्राम्य जीवन भी क्या है ...?re simple than village life...

Some true stories about village life

जोधपुर के आसपास ग्राम्य जीवन की झलकियाँ

बुधवार, 23 सितंबर 2009

रोहट का दुर्ग





रोहट का दुर्ग जोधपुर से मात्र ३० किलो मीटर जोधपुर पाली मार्ग पर है.यह एक छोटा गाँव है जो तेजी से फैलते जोधपुर की चपेट मैं शीध्र आने वाला है.दुर्ग  के प्राचीर से सूर्यास्त का नज़ारा अदभुत है.यह दुर्ग एक हेरिटेज होटल है .विलियम डेरीयम्पल ने यहीं रह कर अपनी पुस्तक "सिटी ऑफ़ जिन्नस "की रचना की थी.मेडोना को भी यह जगह बहुत पसंद है.

5 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया जानकारी ! कल हिंदुस्तान अख़बार में रविश कुमार जी द्वारा ब्लॉग चर्चा कॉलम में आपके ब्लॉग का जिक्र पढ़ कर बहुत अच्छा लगा |

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  2. वाकई बहुत प्यारा है ये दुर्ग... अच्छा लगा..

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  3. विपिन जी, आपका यह प्रयास बहुत ही सार्थक और रचनात्‍मक है. इस जोश और जज्‍बे को बनाए रखें. कल हिंदुस्‍तान के कालम ब्‍लागवार्ता में आपका जिक्र है...
    http://blogonprint.blogspot.com/2009/09/blog-post_8821.html
    सादर

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  4. क्षमा करें, जानकारी कुछ अधूरी सी लगी।
    अगर फोटो भी होता, तो अच्छा रहता।
    वैज्ञानिक दृ‍ष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।

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  5. काव्या जी तीन चित्र दे रखे हैं शायद आपके खुले नहीं.रोहट का दुर्ग १९९० से हेरिटेज होटल बन चुका है.इतिहास की एक झलक जरूर देखने को मिलती है.

    रतन सिंह जी सा, पृथ्‍वी सा, खम्मा घणी सा ,आप लोंगा रो घणो घणो आभार

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