बाजार मैं मिलने वाली हरी मिर्च को ही लाल होने तक पोधे पर पकने दिया जाता है.फिर इसे तोड़ कर सुखा लिया जाता है. मसाला पीसने की मशीन पर पीस लिया जाता है.इस लाल मिर्च के रंग व स्वाद का कोई मुकाबला नहीं है.आजकल मसालों में मिलावट की वजह से सब्जियों का स्वाद घटता जा रहा है वहीँ मथानिया की लाल मिर्च अपने मौलिक रूप में मौजूद है.बाजार में यह १२० रूपये प्रति किलो के भाव से बिकती है.मथानिया जोधपुर से ४० किलोमीटर दूर है . हम अपने परिवार एवं इष्ट मित्रों के लिए वहीँ से साल भर की जरुरत की मात्र खरीदते हैं.
अहा , ग्राम्य जीवन भी क्या है ...?re simple than village life...
Some true stories about village life
जोधपुर के आसपास ग्राम्य जीवन की झलकियाँ
जोधपुर के आसपास ग्राम्य जीवन की झलकियाँ
रविवार, 27 सितंबर 2009
मथानिया की लाल मिर्च
मथानिया की लाल मिर्च अपने रंग और स्वाद के लिए इतनी मशहूर हुई की मेक्सिको के कृषि वैज्ञानिकों का एक दल मथानिया अनुसन्धान के लिए आया और मेक्सिको मैं इसकी बड़े पैमाने पर खेती करने की सम्भावना पर शोध की.
बाजार मैं मिलने वाली हरी मिर्च को ही लाल होने तक पोधे पर पकने दिया जाता है.फिर इसे तोड़ कर सुखा लिया जाता है. मसाला पीसने की मशीन पर पीस लिया जाता है.इस लाल मिर्च के रंग व स्वाद का कोई मुकाबला नहीं है.आजकल मसालों में मिलावट की वजह से सब्जियों का स्वाद घटता जा रहा है वहीँ मथानिया की लाल मिर्च अपने मौलिक रूप में मौजूद है.बाजार में यह १२० रूपये प्रति किलो के भाव से बिकती है.मथानिया जोधपुर से ४० किलोमीटर दूर है . हम अपने परिवार एवं इष्ट मित्रों के लिए वहीँ से साल भर की जरुरत की मात्र खरीदते हैं.
बाजार मैं मिलने वाली हरी मिर्च को ही लाल होने तक पोधे पर पकने दिया जाता है.फिर इसे तोड़ कर सुखा लिया जाता है. मसाला पीसने की मशीन पर पीस लिया जाता है.इस लाल मिर्च के रंग व स्वाद का कोई मुकाबला नहीं है.आजकल मसालों में मिलावट की वजह से सब्जियों का स्वाद घटता जा रहा है वहीँ मथानिया की लाल मिर्च अपने मौलिक रूप में मौजूद है.बाजार में यह १२० रूपये प्रति किलो के भाव से बिकती है.मथानिया जोधपुर से ४० किलोमीटर दूर है . हम अपने परिवार एवं इष्ट मित्रों के लिए वहीँ से साल भर की जरुरत की मात्र खरीदते हैं.
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