अहा , ग्राम्य जीवन भी क्या है ...?re simple than village life...
Some true stories about village life
जोधपुर के आसपास ग्राम्य जीवन की झलकियाँ
जोधपुर के आसपास ग्राम्य जीवन की झलकियाँ
शनिवार, 12 सितंबर 2009
वाह क्या मनवार है
राजस्थान के अनेक गाँव में आज भी अफीम की मनवार का प्रचलन है.वैसे तो अफीम की खेती सरकारी नियंत्रण में चित्तोड़ एवं उसके आसपास के जिलों में होती है,पर यह हर जगह सहजता से उपलब्ध है.पॉपी के फूलों को चीरा लगा कर जो रस निकला जाता है उसका संग्रहण कर लिया जाता है.इसे अफीम का दूध भी कहते हैं.यह दवाइयाँ बनाने के काम आता है.शुद्ध अवस्था में सेवन से काफी नशा हो सकता है.इसमें ९०% शक्कर मिला कर पतली बट्टी बना ली जाती है.आम तौर पर इसका प्रयोग किया जाता है.इसे सेवन के लिए पानी मिला कर और भी विरल किया जाता है.इसके लिए चित्र में दर्शाए अनुसार एक यन्त्र काम में लिया जाता है.यहाँ एक विदेशी बालिका को मैं अफीम को विरल करने व सेवन करने की विधि समझा रहा हूँ.जब कई बार फिल्टर होकर यह उपभोग के लिए तैयार होती है तब मेजबान अपने हाथों से इसे मेहमान को चुल्लू बना कर पिलाता है.
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अनूठी जानकारी
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Carbon Nanotube As Ideal Solar Cell
मनवार के बारे में अनूठी जानकारी. प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंpashchim rajasthan main bhi har jagah he..
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