कायलाना एक कृत्रिम झील है जिसका उद्देश्य वर्षा के पानी को बांध बना कर एकत्रित करना था.मारवाड़ में वर्षा का जल अमूल्य था तथा इसके संरक्षण के पर्याप्त उपाय किये जाते थे.कायलाना और तखत सागर दो झीलें हैं तथा कायलाना का ओवर फ्लो तखत सागर में जाता है.पहले ये दोनों झीलें बरसात में लबालब भर जाती थी और गर्मी आते आते लगभग सूख जाती थीं.पर अब ऐसा नहीं है अब यह झील बारह महीने भरी रहती है.सतलज व्यास लिंक के द्वारा हरिके बेराज से लेकर लिफ्ट कैनाल से जोधपुर तक हिमालय का पानी पहुँचाने का काम राजस्थान में होता है.जोधपुर के आस पास के अनेक गांवों में भी पीने का पानी यहाँ से सप्लाई किया जाता है.इसके किनारे एक उपेक्षित सा बगीचा है.कुछ काम नहीं आने वाली नावें हैं.आसपास पहाडों पर आत्म हत्या नहीं करने बाबत स्लोगन लिखे हैं क्यों कि यहाँ हर वर्ष कुछ दुर्घटनाएं अवश्य होती हैं.पास में एक रास्ता बिजोलाई ,मचिया सफारी पार्क ,सिद्ध नाथ ,भीम भड़क जाता है जो सभी बड़े दर्शनीय स्थल हैं.चूँकि यह झील अपनी भराव क्षमता से ज्यादा भरी रहती है इसलिए शहर के पुराने मकानों में अंडर ग्राउंड में पानी का रिसाव होने लगा है और धीरे धीरे यह समस्या विकराल होने वाली है.शायद कोई हादसा हो और हम चेतें.
आमतौर पर हादसा होने के बाद ही लोग चेतते हैं ,
जवाब देंहटाएंअच्छी रिपोर्ट
एक आवशयक जानकारी प्रस्त्तुत करी ...........शायद समय आवशयक कदम उटःआया जा सके!
जवाब देंहटाएंवाह ही वाह.. एक गोठ हो जाये..
जवाब देंहटाएंसरकार चाहे तो यह झील पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकती है नौका विहार के लिए इससे बढ़िया कोई दूसरी जगह नहीं हो सकती | इस झील को मैंने बहुत करीब से व कई बार देखा है १९९१ में तो शाम को अक्सर ही रोजाना ही चले जाते थे |
जवाब देंहटाएंआप का धन्यवाद! आप ने फरमाइश को तुरंत पूरा किया। इस झील के साथ मेरी भी एक स्मृति जुड़ी है। कभी उस के बारे में अवश्य लिखूंगा। फिर भी आप ने इस झील के बारे में जो कुछ लिखा है वह बहुत कम है।
जवाब देंहटाएंकायलाना झील के बारे में बड़ी और रोचक जानकारी दी है
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभ कामनाएं !
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मुझे आपके इस सुन्दर से ब्लाग को देखने का अवसर मिला, नाम के अनुरूप बहुत ही खूबसूरती के साथ आपने इन्हें प्रस्तुत किया आभार् !!
अच्छी जानकारी है. जलाकाल क्षेत्र में परम्परागत भवन निर्माण में भूमिगत जल के रिसाव से बचाव की ज़रुरत ही नहीं रही होगी मगर अब इस नयी समस्या के बाद शायद इस दिशा में कुछ प्रयास हो.
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