अहा , ग्राम्य जीवन भी क्या है ...?re simple than village life...

Some true stories about village life

जोधपुर के आसपास ग्राम्य जीवन की झलकियाँ

शनिवार, 7 नवंबर 2009

बडली का प्रसिद्ध भेरुंजी का मंदिर


 जोधपुर-जैसलमेर नेशनल हाईवे पर जोधपुर से तेरह किलोमीटर कि दूरी पर एक गाँव है बडली.यह नाम वहां पर अति प्राचीन बड  के वृक्ष के कारण पड़ा है.इसी वृक्ष के पास सात सौ साल पुराना भेरुंजी का मंदिर है.यह मंदिर शिहाजी द्वारा बनवाया गया था जिन्होंने राठोड वंश के राजपूतों को कन्नोज से लाकर मारवाड़ में बसाया था.अनेक जाति व संप्रदाय के लोग यहाँ पुत्र उत्पन्न होने पर जात-जडुले के लिए आते हैं.

भैरव का अर्थ होता है भय का हरण कर जगत का भरण करने वाला। ऐसा भी कहा जाता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है
यह भगवान का साहसिक युवा रूप है। उक्त रूप की आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है। व्यक्ति में साहस का संचार होता है। सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को शंकर का रुद्रावतार माना जाता है। काल भैरव की आराधना के लिए मंत्र है- ।।ॐ भैरवाय नम:।
यहाँ अनेक महात्माओं ने तप किया है जिनकी अखंड ज्योत आज भी मंदिर में जलती रहती है.
इस मंदिर में रविवार को दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता है.ऐसी मान्यता है कि भेरुं जी का प्रशाद घर नहीं ले जाया जाता मंदिर में ही बाँटना चाहिए.कुछ लोग भेरुं जी को मदिरा भी प्रशाद रूप में चढाते हैं.मंदिर के सामने एक पुरानी बावडी है जिसमें अब गन्दा पानी भरा है अगर इस इलाके पर ध्यान दिया जाय तो इसे रमणीक धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है.



1 टिप्पणी:

  1. उसी मार्ग पर जोधपुर की प्यास बुझाने वाली सुंदर कायलाना झील भी है। उस का सचित्र वर्णन भी करें।

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