भैरव का अर्थ होता है भय का हरण कर जगत का भरण करने वाला। ऐसा भी कहा जाता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है।
यह भगवान का साहसिक युवा रूप है। उक्त रूप की आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है। व्यक्ति में साहस का संचार होता है। सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को शंकर का रुद्रावतार माना जाता है। काल भैरव की आराधना के लिए मंत्र है- ।।ॐ भैरवाय नम:।। यहाँ अनेक महात्माओं ने तप किया है जिनकी अखंड ज्योत आज भी मंदिर में जलती रहती है.इस मंदिर में रविवार को दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता है.ऐसी मान्यता है कि भेरुं जी का प्रशाद घर नहीं ले जाया जाता मंदिर में ही बाँटना चाहिए.कुछ लोग भेरुं जी को मदिरा भी प्रशाद रूप में चढाते हैं.मंदिर के सामने एक पुरानी बावडी है जिसमें अब गन्दा पानी भरा है अगर इस इलाके पर ध्यान दिया जाय तो इसे रमणीक धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है. |
उसी मार्ग पर जोधपुर की प्यास बुझाने वाली सुंदर कायलाना झील भी है। उस का सचित्र वर्णन भी करें।
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