कायलाना एक कृत्रिम झील है जिसका उद्देश्य वर्षा के पानी को बांध बना कर एकत्रित करना था.मारवाड़ में वर्षा का जल अमूल्य था तथा इसके संरक्षण के पर्याप्त उपाय किये जाते थे.कायलाना और तखत सागर दो झीलें हैं तथा कायलाना का ओवर फ्लो तखत सागर में जाता है.पहले ये दोनों झीलें बरसात में लबालब भर जाती थी और गर्मी आते आते लगभग सूख जाती थीं.पर अब ऐसा नहीं है अब यह झील बारह महीने भरी रहती है.सतलज व्यास लिंक के द्वारा हरिके बेराज से लेकर लिफ्ट कैनाल से जोधपुर तक हिमालय का पानी पहुँचाने का काम राजस्थान में होता है.जोधपुर के आस पास के अनेक गांवों में भी पीने का पानी यहाँ से सप्लाई किया जाता है.इसके किनारे एक उपेक्षित सा बगीचा है.कुछ काम नहीं आने वाली नावें हैं.आसपास पहाडों पर आत्म हत्या नहीं करने बाबत स्लोगन लिखे हैं क्यों कि यहाँ हर वर्ष कुछ दुर्घटनाएं अवश्य होती हैं.पास में एक रास्ता बिजोलाई ,मचिया सफारी पार्क ,सिद्ध नाथ ,भीम भड़क जाता है जो सभी बड़े दर्शनीय स्थल हैं.चूँकि यह झील अपनी भराव क्षमता से ज्यादा भरी रहती है इसलिए शहर के पुराने मकानों में अंडर ग्राउंड में पानी का रिसाव होने लगा है और धीरे धीरे यह समस्या विकराल होने वाली है.शायद कोई हादसा हो और हम चेतें.
अहा , ग्राम्य जीवन भी क्या है ...?re simple than village life...
Some true stories about village life
जोधपुर के आसपास ग्राम्य जीवन की झलकियाँ
जोधपुर के आसपास ग्राम्य जीवन की झलकियाँ
मंगलवार, 10 नवंबर 2009
शनिवार, 7 नवंबर 2009
बडली का प्रसिद्ध भेरुंजी का मंदिर
जोधपुर-जैसलमेर नेशनल हाईवे पर जोधपुर से तेरह किलोमीटर कि दूरी पर एक गाँव है बडली.यह नाम वहां पर अति प्राचीन बड के वृक्ष के कारण पड़ा है.इसी वृक्ष के पास सात सौ साल पुराना भेरुंजी का मंदिर है.यह मंदिर शिहाजी द्वारा बनवाया गया था जिन्होंने राठोड वंश के राजपूतों को कन्नोज से लाकर मारवाड़ में बसाया था.अनेक जाति व संप्रदाय के लोग यहाँ पुत्र उत्पन्न होने पर जात-जडुले के लिए आते हैं.
भैरव का अर्थ होता है भय का हरण कर जगत का भरण करने वाला। ऐसा भी कहा जाता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है।
भैरव का अर्थ होता है भय का हरण कर जगत का भरण करने वाला। ऐसा भी कहा जाता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। इन्हें काशी का कोतवाल कहा जाता है।
यह भगवान का साहसिक युवा रूप है। उक्त रूप की आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है। व्यक्ति में साहस का संचार होता है। सभी तरह के भय से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को शंकर का रुद्रावतार माना जाता है। काल भैरव की आराधना के लिए मंत्र है- ।।ॐ भैरवाय नम:।। यहाँ अनेक महात्माओं ने तप किया है जिनकी अखंड ज्योत आज भी मंदिर में जलती रहती है.इस मंदिर में रविवार को दर्शनार्थियों का ताँता लगा रहता है.ऐसी मान्यता है कि भेरुं जी का प्रशाद घर नहीं ले जाया जाता मंदिर में ही बाँटना चाहिए.कुछ लोग भेरुं जी को मदिरा भी प्रशाद रूप में चढाते हैं.मंदिर के सामने एक पुरानी बावडी है जिसमें अब गन्दा पानी भरा है अगर इस इलाके पर ध्यान दिया जाय तो इसे रमणीक धार्मिक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है. |
मंगलवार, 3 नवंबर 2009
मियानी का चमत्कारी शिव मंदिर
जोधपुर से सोजत के ग्रामीण बस सेवा मार्ग पर एक गाँव है मियानी जो मुख्यतया कुम्हारों का गाँव है .यहाँ एक शिव मंदिर है जो काफी प्रसिद्ध है.जाट जाति कि एक लड़की अन्य गाँव से ब्याह कर इस गाँव में आई .वो प्रतिदिन शिव जी को जल चढा कर ही भोजन करती थी परन्तु मियानी में कोई मंदिर नहीं था अतः उसने भोजन करने से इंकार कर दिया.सपने में पभु ने दर्शन दे कर कहा कि वो उसके खेत में मौजूद हैं जहाँ पूजा कर वह भोजन प्राप्त करे.वह लड़की खेत में घूमी जहाँ उसे शिवलिंग के दर्शन हुए .बड़ी धूमधाम से पूजा हुई और बाद में मंदिर का निर्माण करवाया गया.यहाँ श्रद्धा से पूजा अर्चना करने पर मनोकामना पूर्ण होती है.
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